हरियाणा की इन विधानसभा सीटों पर दिखेगा बाबा बालक नाथ का प्रभाव, कांग्रेस का है गढ़

रोहतक | हरियाणा में रोहतक के बाबा मस्तनाथ मठ के महंत बालकनाथ को राजस्थान का सीएम पद देकर बीजेपी जाट बेल्ट पर कब्ज़ा कर सकती है. जिसके चलते सीधे तौर पर हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के गढ़ में सेंधमारी हो सकती है. महंत बालकनाथ हाल ही में राजस्थान की तिजारा सीट से विधायक चुने गए हैं.

Mahant Balaknath

लोकसभा में कांटे का हुआ मुकाबला

महंत बालकनाथ का बाबा मस्तनाथ मठ रोहतक में है. रोहतक लोकसभा सीट में झज्जर की भी 4 विधानसभा सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में रोहतक सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर हुई थी. हालांकि, बीजेपी से डॉ. अरविंद शर्मा सांसद बनने में सफल रहे. रोहतक- झज्जर में बीजेपी के पास एक भी विधानसभा सीट नहीं है. रोहतक और झज्जर जिले की विधानसभा में बीजेपी की स्थिति खराब है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रोहतक की चार सीटों, रोहतक, कलानौर, महम और सांपला किलोई में से एक पर भी जीत नहीं मिली थी.

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यहां 3 सीटें कांग्रेस और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीतीं. रोहतक लोकसभा में झज्जर जिले की 4 विधानसभा सीटों झज्जर, बेरी, बहादुरगढ़ और बादली में बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई. कांग्रेस ने यहां की चारों सीटों पर जीत हासिल की. इसके पीछे भूपेन्द्र हुडा का दबदबा माना जाता है।

यहां हो सकता है बदलाव

रोहतक को लेकर बीजेपी की चिंता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में बीजेपी ने अपने नए प्रदेश अध्यक्ष सांसद नायब सैनी की ताजपोशी का आयोजन रोहतक में किया था. यहां बीजेपी ने वोटरों को लुभाने के लिए शक्ति प्रदर्शन भी किया. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि 2019 में जहां से बीजेपी के विधायक चुने गए, वहां एंटीइनकंबेंसी के कारण नुकसान हो सकता है. इसलिए इसकी भरपाई रोहतक- झज्जर की 8 सीटों से की जा सकती है.

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बाबा मस्तनाथ मठ के महंत पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के विधानसभा क्षेत्र सांपला किलोई से विधानसभा चुनाव जीत गए हैं. बाबा मस्तनाथ मठ का राजनीति से नाता रहा है. मठ के महंत श्रेयोनाथ ने किलोई सीट से तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ा, 1966 में राज्य गठन के बाद 1967 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ.

किलोई हल्का से बाबा मस्तनाथ मठ के महंत श्रेयोनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा के बीच मुकाबला था, जिसमें महंत निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए. हालांकि, एक साल बाद मध्यावधि चुनाव में रणबीर सिंह हुड्डा ने महंत श्रेयोनाथ को हरा दिया. 1972 में महंत श्रेयोनाथ ने पिछली हार का बदला लेते हुए रणबीर सिंह हुड्डा के बेटे कैप्टन प्रताप सिंह को हरा दिया.

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सीएम रेस से हुए बाहर

सीएम कुर्सी की रेस में वसुंधरा राजे के साथ उनका नाम भी आ रहा है. हालांकि, महंत बालकनाथ ने इसे अटकलें करार दिया और कहा कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करना सीखेंगे लेकिन, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की तरह राजस्थान में भी बीजेपी महंत बालकनाथ के नाम से सबको चौंका सकती है.

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