रोहतक | टीचर तो आपने कई देखे होंगे लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसे टीचर के बारे में, जिनकी कहानी पढ़कर आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे. यहां बच्चों की कक्षाएं स्ट्रीट लाइट के नीचे लगती हैं. उनका स्कूल भी सुबह 7 बजे नहीं बल्कि शाम को 7 बजे लगता है और आपको एक ही क्लास में पहली से लेकर 10वीं क्लास तक के छात्र मिल जाएंगे.
20 वर्षों से पढ़ा रहे ट्यूशन
रोहतक के नरेश कुमार पिछले 20 वर्षों से झुग्गी- झोपड़ियों में रहने वाले प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुफ्त ट्यूशन पढ़ा रहे हैं. इतना ही नहीं, उनका नाम सरकारी स्कूलों में भी दर्ज किया जाता है ताकि वे भविष्य में ठीक से पढ़ सकें और अपना जीवन सुधार सकें. अन्य दिनों की तरह 2 सितंबर की शाम को नरेश कुमार बच्चों को पढ़ा रहे थे. ये बच्चे पिछले 2 महीने से नरेश कुमार के पास पढ़ने आते थे.
इसी दौरान तीन छोटे- छोटे बच्चे उनके पास आए और उनसे ऐसी बात कही कि नरेश कुमार की भी आंखों में आंसू आ गए. छोटी बच्ची लक्ष्मी ने उनके कान में कहा कि सर आज हमारा आखिरी दिन है. हम गांव वापस जा रहे हैं, लेकिन हम पढ़ना चाहते हैं. कृपया मेरे माता- पिता को समझाएं कि वे हमें गांव न ले जाएं.
बच्चों ने बताया यह कारण
नरेश कुमार ने इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि उनके पिता की तबीयत खराब है और उसे मजदूरी नहीं मिलती है. इसलिए बचना संभव नहीं था, शाम करीब 7 बजे जब नरेश कुमार बच्चों के घर गए तो देखा कि उनके माता- पिता अपना सारा सामान पैक कर चुके हैं और वह जाने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने उनकी समस्या सुनी तो पता चला कि पति- पत्नी दोनों काम करना चाहते हैं, लेकिन काम नहीं मिलता.
माता- पिता को गांव जाने पर थे मजबूर
दूसरी तरफ नरेश कुमार के पास भी उनकी मदद करने की क्षमता नहीं है लेकिन उन्हें आश्वासन दिया कि वह अपने दोस्तों से बात कर आप लोगों को काम दिलाने की कोशिश करेंगे, कुछ दिन इंतजार करें. अगर आपको काम नहीं मिलता है तो बेशक आपको छोड़ देना चाहिए. लक्ष्मी का कहना है अब वह बहुत खुश है कि वह पढ़- लिख सकेगी और बड़ी होकर डॉक्टर बनेगी.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!