रोहतक । दुष्कर्म और हत्या से जुड़े मामले में 20 साल की सजा भुगत रहे, “डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम” को गुपचुप तरीके से 1 दिन की पैरोल देने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अब अपना बयान जारी किया है. पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि यह जेल प्रशासन का काम है.
जेल मैन्युअल में जेल सुपरिटेंडेंट को विशेष अधिकार दिया गया होता है. राम रहीम की मां ज्यादा बीमार थी, तो उन्हें उनकी मां से मिलवाया गया है. कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें अस्पताल में ले जाया गया था और सूर्यास्त होने से पहले वापस भी ले आया गया था. बस इतनी ही बात है और यहां बात खत्म हो जाती है. मुख्यमंत्री फतेहाबाद के गांव दौलतपुर में पूर्व विधायक बलवंत सिंह दौलतपुरिया की भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए पधारे थे.
बाबा कों, गुड़गांव अस्पताल तक बख्तरबंद गाड़ी मे लाया गया
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 24 अक्टूबर देर शाम को उनकी बीमार मां से मिलवाने के लिए पैरोल दी गई थी. सरकार व जेल प्रशासन ने मीडिया को इस बात की भनक भी नहीं लगने दी थी. पैरोल के पश्चात, बाबा राम रहीम को गुड़गांव के एक अस्पताल में भर्ती उनकी मां से भी मिलने की इजाजत दी गई थी, और गुड़गांव के अस्पताल में उन्हें उनकी मां से भी मिलवाया गया था. उन्हें सुनारिया जेल से गुड़गांव के अस्पताल तक बख्तरबंद गाड़ी में ले जाया गया था और फिर वापस लेकर आया गया था.
बाबा ने पहले भी लगाई थी, पैरोल की गुहार
राम रहीम 25 अगस्त 2017 से रोहतक की जेल में एक कैदी की जिंदगी गुजार रहे हैं. डेरे की पूर्व साध्वी से दुष्कर्म और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या से जुड़े मामले में राम रहीम को दोषी का दर्जा दिया गया है. पैरोल मिलने की बात सामने आने के बाद, जेल मंत्री रंजीत सिंह चौटाला जी ने इस पर अपना बयान देते हुए कहा है कि बाबा को पैरोल नियमों के अनुसार ही दी गई है. दर असल, उसने पहले भी कई बार पैरोल के लिए गुहार लगाई थी. किंतु, उसे मंजूरी नहीं मिली थी.
बाबा को बीमार मां से मिलवाने के लिए, खाली करवाया गया पूरा फ्लोर
बाबा राम रहीम 24 अक्टूबर को देर शाम तक अपनी बीमार मां के साथ, वहीं अस्पताल में मौजूद रहा. सूत्रों के हवाले से खबर है कि हरियाणा पुलिस की तीन टुकड़िया भी वहीं बाबा राम रहीम के साथ मौजूद थी. एक टुकड़ी में लगभग 80 से 100 जवान मौजूद थे. यानी कि ढाई सौ से तीन सौ जवानों की राम रहीम के साथ तैनाती की गई थी. डेरा चीफ को जेल के भीतर से बख्तरबंद गाड़ी में अस्पताल तक लाया गया था. गुड़गांव पुलिस ने अस्पताल के बेसमेंट में गाड़ी का ठहराव किया था. जिस मंजिल से उसकी बीमार मां का इलाज चल रहा था, उस माले को पूरा खाली कराया गया था. जिससे किसी को भनक भी ना लग सके और यहां राम रहीम को गुपचुप तरीके से लाया जा सके.
प्रदेश के जेल मंत्री ने दी सफाई
इस स्थिति में स्पष्ट रूप से बात करते हुए एस पी राहुल शर्मा ने अपनी बातें रखी है. उन्होंने कहा कि उन्हें जेल सुपरिटेंडेंट से राम रहीम के गुड़गांव दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था का निवेदन मिला था. 24 अक्टूबर को सुबह से लेकर शाम ढलने तक हर जरूरी वस्तु के इंतजाम किए गए थे. यह सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से संभव हो पाया है. वहीं, दूसरी तरफ शनिवार दोपहर इस मामले पर प्रदेश के जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी स्पष्ट रूप से अपनी सफाई दी है. अपनी सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि राम रहीम को सारे नियम व कानून को मध्य नजर रखते हुए की पैरोल दी गई थी. यह सब कुछ कानून के दायरे में ही हुआ है.
जानें सी बी आई ने क्या लगाए हैं आरोप
वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. छत्रपति अपने समाचार पत्र में डेरा प्रमुख से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करना चाहते थे. पत्रकार छत्रपति की हत्या के बाद उनके परिजनों ने बाबा के खिलाफ मामला अंकित करवाया था. किंतु, बाद में मामला सी बी आई को जांच के लिए सौंप दिया गया था. सी बी आई ने साल 2007 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें डेरा प्रमुख राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी घोषित कर दिया था. इससे पूर्व 28 अगस्त 2017 को सी बी आई की स्पेशल कोर्ट ने दो महिलाओं के साथ रेप के मामले में राम रहीम को 20 साल जेल के अंदर रहने की सजा सुनाई थी.
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