रोहतक | हरियाणा में लोकसभा चुनावों के लिए मतदान की तारीख (25 मई) से ठीक पहले एक बड़ी खबर सामने आ रही है. साध्वियों से यौन शौषण और मर्डर केस में रोहतक की सुनारिया जेल में सजा भुगत रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने एक बार फिर जेल से बाहर आने की इच्छा जताई है. इस संबंध में बाबा ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के सामने किसी भी तरह की पैरोल या फरलो देने पर रोक के आदेश को हटाने की गुहार लगाई है.
रिहाई के लिए हाईकोर्ट की परमिशन अनिवार्य
डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम ने दावा किया है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो सहित कुल 41 दिनों की अवधि पर रिहाई के लिए पात्र है और वह इसका लाभ उठाना चाहता है.
बता दें कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर राम रहीम को बार- बार जेल से बाहर लाने का विरोध जताया था. इसके बाद, 29 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिए थे कि कोर्ट की परमिशन के बिना राम रहीम की पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए.
डेरा प्रमुख की दलीलें
गुरमीत राम रहीम ने हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक हटाने की मांग करते हुए दलील दी है कि पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति का है और दोषी को परिवार और समाज के साथ अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना है. हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है.
साथ ही यह भी कहा गया है कि नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो. पैरोल या फरलो देना पूरी तरह से कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित वैधानिक प्राविधान के अनुसार है. उसे किसी भी स्तर पर कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया गया है.
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