रोहतक | ई-टिकटिंग मशीनें जुलाई के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह तक रोहतक डिपो में पहुंच जाएंगी. मशीनों के आने से समय की बचत होगी, वहीं टिकट की धोखाधड़ी भी रुकेगी. कर्मचारियों को पहले से ही ई-टिकटिंग मशीनों के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है. कुछ दिन पहले कर्मचारियों को रोहतक से मुख्यालय बुलाया गया, जहां उन्हें ई-टिकटिंग मशीन की जानकारी दी गई. बता दें कि रोहतक डिपो में कुल 205 बसें हैं. इनमें से 195 बसें सड़कों पर चलती हैं. ऐसे में इन बसों में ड्यूटी देने वाले सभी संचालकों को ई-टिकटिंग मशीन दी जाएगी.
इन बसों में ई-मशीन के साथ परिचालक-चालक के साथ एक-एक कंडक्टर लगाया जाएगा. जो ट्रायल के तौर पर मशीन से यात्रियों को डमी टिकट देगी. यदि मशीनों या प्रशिक्षण में कोई कमी नजर आती है तो उसे सुधारा जाएगा. इसके बाद रोडवेज बसों में कंडक्टर ई-टिकटिंग मशीन से टिकट काटते नजर आएंगे. जिसमें किराया एडवांस में फीड किया जाएगा और कोड दबाने के बाद टिकट प्रिंट हो जाएगा.
जीपीएस सिस्टम से होगी बसों की मॉनिटरिंग
ई-टिकटिंग सिस्टम के लागू होने से टिकट छपाई पर लाखों रुपये की बचत होगी. बिना टिकट के परिचालक अपने परिचित को बस में नहीं बिठा सकेंगे. इसके अलावा अधिकारी मशीनों में लगे जीपीएस सिस्टम से बसों की निगरानी कर सकेंगे. ऑनलाइन जानकारी होगी कि कौन सी बस किस रूट पर कहां पहुंच गई है. वहीं, टिकट में रूट डिटेल और समय दिखाया जाएगा. इससे फ्लाइंग टीम यात्री के सफर की पूरी जानकारी जान सकेगी.
महाप्रबंधक, रोडवेज दलबीर फोगट ने बताया कि मुख्यालय स्तर पर ई-टिकटिंग मशीनों की प्रक्रिया चल रही है. हमें जुलाई के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह तक ई-टिकटिंग मशीनें मिल जाएंगी.
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