रोहतक । समाज को जागरूक करने के लिए महिलाओं, किशोरियों के लिए पैड बना कर बांटने वाले पैडमैन की काल्पनिक कहानी तो आपने बॉलीवुड की फिल्में जरूर देखी होगी लेकिन आज जो हम आपको बता रहे हैं वह एक वास्तविक कहानी है. इस रियल कहानी के हीरो का नाम है जगदीप. जिसने जमीनी स्तर पर जाकर समाज में महिलाओं को जागरूक करने का काम लगातार किया है.
अनुभव टोली का करते हैं संचालन
जगदीप और उनकी पत्नी सुनीता एक एनजीओ चलाते हैं जिसका नाम है अनुभव टोली. बात 2020 में लगे लॉकडाउन के दौरान की है. जब देश में भयानक संकट घिर आया था. पूरा देश ही सकते में था लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी प्रवासी मजदूरों के सामने आई थी. रोजगार तो छिन ही गया था,खाने-पीने के भी लाले पड़ गए थे. कुछ मजदूर अपने घरों की ओर लौट गए पर जो बच गए उनको भी कम परेशानियां नहीं झेलनी पड़ी.
ऐसे में कई सामाजिक संगठन उनके सहयोग के लिए सामने आए जिन्होंने उनकी मदद की, राशन मुहैया कराया. इसी मुहिम के दौरान जगदीप और उनकी पत्नी सुनीता जब मजदूर महिलाओं के पास राशन बांटने पहुंचे तो कुछ प्रवासी महिलाओं ने उन्हें अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि उन्हें राशन की मदद तो मिल जा रही है परंतु दुकानें बंद हैं और उन्हें सेनेटरी पैड नहीं मिल पा रहे हैं.
सामाजिक संगठनों का मिला सहयोग
इन महिलाओं की परेशानी सुन सुनीता ने इसका जिक्र अपने पति जगदीप से किया. दोनों ने ठानी की किसी न किसी तरीके से इन महिलाओं की मदद करनी है. इसके बाद दोनों ने मिलकर कई सामाजिक संस्थाओं से संपर्क किया. दोनों को इस काम में मदद भी मिली. जगदीप और उनकी पत्नी ने शहर की कई कॉलोनियों में रहने वाले प्रवासी परिवार की महिलाओं और किशोरियों को उनके घरों में जाकर ही सेनेटरी पैड देने शुरू कर दिए.
छात्राओं का भी मिला साथ
तकरीबन 1 साल काम करने के बाद सुनीता और जगदीप की इस मुहिम में कई छात्राएं भी आगे आईं. ये छात्राएं भी हर महीने प्रवासी मजदूरों की कालोनियों में जाती हैं और महिलाओं और किशोरियों को उनकी जरूरत के अनुसार उनको सेनेटरी पैड उपलब्ध कराती हैं. इसके साथ उन्हें स्वच्छता को लेकर भी जागरूक करती रहती हैं. छात्रों का कहना है कि उन्हें इन महिलाओं को जागरूक करना अच्छा लगता है.
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