हरियाणा के कई जिले जलभराव और लवणता की दोहरी समस्या से प्रभावित, रोहतक सबसे प्रभावित इलाका

चंडीगढ़ | हरियाणा में जलभराव और लवणता की दोहरी समस्या से 0.8 लाख एकड़ भूमि प्रभावित है. भूजल सेल द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कुल 1.1 करोड़ एकड़ भौगोलिक क्षेत्र में से 9.8 लाख एकड़ (8.89 प्रतिशत) जल-जमाव और लवणता की दोहरी समस्या से प्रभावित है. आंकड़ों से यह भी पता चला कि कुल क्षेत्रफल में से 1.7 लाख एकड़ गंभीर स्थिति में है.

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हरियाणा विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के प्रश्नकाल के दौरान इनेलो विधायक अभय चौटाला द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में यह जानकारी सामने आई.

अभय ने पूछा था ये सवाल

अभय ने कृषि मंत्री जेपी दलाल से हरियाणा में ‘सेम’ की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों, जिलेवार विवरण और सरकार द्वारा समस्या को हल करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा था. दलाल ने अपने जवाब में कहा, “भूजल प्रकोष्ठ द्वारा 2020 में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 0.8 लाख एकड़ हरियाणा में जलभराव और लवणता की दोहरी समस्या से प्रभावित है जिसमें से 1.7 लाख एकड़ गंभीर स्थिति में है.”

रोहतक सबसे प्रभावित इलाका

मंत्री ने कहा कि समस्या की प्रकृति और सीमा के आधार पर सब-सरफेस ड्रेनेज (एसएसडी), वर्टिकल ड्रेनेज, बायो-ड्रेनेज और एक्वाकल्चर के माध्यम से जलभराव की समस्या से निपटा जा सकता है और प्रभावित क्षेत्र को 3-4 वर्षों के भीतर सुधारा जा सकता है. सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रोहतक (61.47%), झज्जर (40.77%), सोनीपत (32.95%), भिवानी (13.19%), हिसार (7.13%), जींद (9.27%), चरखी दादरी (9.56%), फतेहाबाद (1.81%), अंबाला (3.96%) है.

4355 किसानों ने किया अब तक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन

राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए मंत्री ने कहा कि 2021- 22 से जल जमाव और खारी भूमि को पुनर्जीवित करने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देशों को पहले ही लिया जा चुका है. एक वेब पोर्टल विकसित किया गया था और 4,355 किसानों ने अब तक पोर्टल पर 25,426 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त करने में रुचि दिखाई है.

28100 एकड़ भूमि का हुआ पुनरुद्धार

सीएसएसआरआई करनाल द्वारा एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है. हरियाणा में 1996 में जल भराव और लवणीय मिट्टी का सुधार कार्य शुरू किया गया था. जिसके तहत, 24 वर्षों में केवल 28,100 एकड़ भूमि का पुनरुद्धार किया गया था. सब सरफेस और वर्टिकल ड्रेनेज तकनीक के माध्यम से पहले ही पुनः प्राप्त कर लिया गया है और शेष प्रगति पर है.

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