ओलंपिक में 76 किलोग्राम भारवर्ग में रोहतक की रीतिका हुड्डा दिखाएंगी अपना दमख़म, कभी कुश्ती छोड़ने का था फैसला

रोहतक | हरियाणा के रोहतक जिले के गांव खरकड़ा (वर्तमान अस्थल बोहर) निवासी कुश्ती खिलाड़ी रितिका हुड्डा पेरिस ओलंपिक में 76 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गई है. साल 2022 में कॉमनवेल्थ और एशियाई गेम्स में चयन नहीं होने पर उन्होंने कुश्ती छोड़ने का फैसला कर लिया था, लेकिन माता- पिता की प्रेरणा उन्हें दोबारा इस खेल की तरफ खींच लाई. बता दें कि रीतिका ने 9 साल पहले अपने कुश्ती करियर की शुरुआत की थी.

Ritika Hooda Rohtak

10 अगस्त को उतरेंगी मैदान में

पेरिस ओलंपिक में वह 10 अगस्त को मैदान में उतरेंगी. इसके लिए वह हर रोज 7 घंटे कड़ी मेहनत कर रही हैं. रितिका बताती है कि ओलंपिक में चयन होने पर वह काफी खुश है. उनके कोच और माता- पिता ने उन्हें यहां तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है. पिता जगबीर हुड्डा उनके लिए सभी जरूरी चीज लाते हैं. वहीं, मां नीलम उनके खाने- पीने से संबंधित जरूरतों का ध्यान रखती हैं.

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कोच मनदीप उन्हें खेल में आगे बढ़ाने के लिए अच्छी ट्रेनिंग दे रहे हैं. स्वयं रीतिका ने अपने स्पीड वर्क और स्मार्ट वर्क पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. रितिका का पूरा ध्यान अब ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर है. आसपास के लोगों और परिवारजनों को भी रितिका से काफी उम्मीदें हैं.

काफी मुश्किलों भरा रहा रितिका का सफर

रितिका रहती है कि ओलंपिक में कई देशों के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. उन्हें हराने के लिए अलग- अलग रणनीति अपनानी होती है. मैंने अपने मुकाबले से पहले सभी के मुकाबले देख लिए हैं और उन पर काम भी किया है. वह बताती हैं कि उन्होंने यह मुकाम इतनी आसानी से नहीं पाया. उनका यह सफर काफी मुश्किलों से भरा रहा. उन्हें काफी चोटें भी लगी है.

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एक समय ऐसा भी आया था जब वह हार मान बैठीं थी, क्योंकि वह साल 2022 के दौरान हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल और सीनियर वर्ल्ड और एशियाई गेम्स में हार गई थी. तब परिवार के लोगों ने उसे सहारा दिया. इसके बाद, रीतिका ने दोबारा कड़ी मेहनत के साथ खेलने का फैसला लिया और आज इस मुकाम तक पहुंच गई. रीतिका की मां नीलम को यकीन है कि उनकी बेटी अबकी बार गोल्ड जरूर लेकर आएंगी.

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