रोहतक । हरियाणा के रोहतक जिले के लघु चिड़ियाघर में पर्यटकों को अब शुतुरमुर्ग देखने को मिलेंगे. बता दें कि हैदराबाद से एक नर व दो मादा शुतुरमुर्ग को यहां लाया गया है और इनकी ऊंचाई करीब 9 फीट है. अधिकारियों ने दावा करते हुए कहा है कि प्रदेश के अन्य किसी भी चिड़ियाघर में शुतुरमुर्ग नहीं है , इसलिए रोहतक चिड़ियाघर प्रदेश का ऐसा पहला चिड़ियाघर बन गया है जहां शुतुरमुर्ग देखने को मिलेंगे. केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति के बाद इन्हें यहां लाया गया है. चिड़ियाघर के इंचार्ज देवेन्द्र हुड्डा ने बताया कि करीब 35 साल पहले इस चिड़ियाघर को बनाया गया था. चिड़ियाघर में पहली बार दुनिया का सबसे बड़ा और उड़ान रहित पक्षी कहा जाने वाला शुतुरमुर्ग आने से विभाग के कर्मचारियों में उत्सुकता का माहौल बना हुआ है.
वन्य प्राणी चिकित्सक की देख-रेख में दिया जा रहा है खाद्य पदार्थ
कोरोना महामारी के चलते लघु चिड़ियाघर को अभी दर्शकों के लिए नहीं खोला गया है. लेकिन जैसे ही उच्च अधिकारियों के निर्देश पर चिड़ियाघर खुलेंगे , पर्यटन इन खास पक्षियों के दर्शन कर सकेंगे. वन्य प्राणी चिकित्सक की देख-रेख में उन्हें खाद्य पदार्थ दिए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि तीनों शुतुरमुर्गों के लिए चिड़ियाघर में अलग-2 स्थान तय किया गया है. उनके खाने-पीने का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है.
तीनों शुतुरमुर्ग करीब तीन वर्ष की उम्र के हैं. उन्होंने बताया कि यह पक्षी मूल रूप से साउथ अफ्रीका में पाया जाता है. यह पक्षी सर्दी और गर्मी दोनों तरह के मौसम में अपने आप को ढाल सकता है. नर और मादा शुतुरमुर्ग होने से इनके वंश में भी वृद्धि होगी. इन पक्षियों के अंडे का आकार भी काफी बड़ा होता है.
70 किलोमीटर प्रति घंटा है स्पीड
अधिकारियों ने बताया कि शुतुरमुर्ग की गर्दन और पैरों की लंबाई अधिक होती है और जरुरत पड़ने पर यें 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकतें हैं. जो इस पृथ्वी पर पाए जाने वाले किसी भी अन्य पक्षी की रफ्तार से ज्यादा है. उन्होंने बताया कि शुतुरमुर्ग पक्षियों की सबसे बड़ी जीवित प्रजातियों में से एक है और इसके अंडे का आकार अन्य जीवित पक्षी की प्रजाति की तुलना में बहुत बड़ा होता है. आमतौर पर यह पक्षी शाकाहारी भोजन करना ही पसंद करता है और इसका वजन 80 से 150 किलोग्राम तक होता है.
28 सितंबर 1986 में हुआ था उद्घाटन
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली रोड़ स्थित इस लघु चिड़ियाघर का उद्घाटन 28 सितंबर 1986 में कृषि एवं वन्य प्राणी परीक्षण विभाग की तत्कालीन मंत्री प्रसन्नी देवी ने किया था. यहां पर उस समय पक्षियों के लिए अलग-अलग पिंजरे बनाएं गए थे लेकिन वर्षों पूराने यह पिंजरे अब तंग और पूराने हों चलें थे. ऐसे में अब पक्षियों के लिए नए पिंजरे बनाएं गए हैं.
और भी प्रजाति है यहां
रोहतक का यह लघु चिड़ियाघर करीब 41 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है. यहां पर फिलहाल शेर के बच्चों से लेकर मगरमच्छ, तेंदुआ ,हिरण और गीदड़ प्रजाति के दर्शन करने को मिलेंगे. दिल्ली के नजदीक होने के चलते अक्सर यहां पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है. पर्यटकों के लिए पास की तिलियार झील में वोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है.
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