रोहतक । ब्लैक फंगस इंफेक्शन का दंश उन मरीजों में तेजी से फैल रहा है जो कोरोना संक्रमित है या ठीक हो चुके अनियंत्रित शुगर के मरीज हैं, उनके स्टेरॉइड चल रहे हैं और इम्यूनो सेपरेशन की दवाएं ले रहे हैं. इन्हें इस इन्फेक्शन से बचने की ज्यादा जरूरत है.
पिछले 8 दिनों में ब्लैक फंगस के 20 केस सामने आ चुके हैं. 2 लोगों की मौत हुई है. जबकि दस मरीजों की एक आंख और आपरेशन के माध्यम से जबड़े का उपरी हिस्सा निकालना पड़ा है. शेष 8 मरीजों में इन्फेक्शन का पता पहले चल गया तो आपरेशन की जरूरत नहीं हुई. पहले ऐसे केस सालभर में नाममात्र के ही देखने को मिलते थे.-डॉ भूषण कथूरिया, ईएनटी एवं हेड एंड नेक कैंसर सर्जन, रोहतक
ये लक्षण पहचानें
- नाक खुश्क और चेहरे व तलवें की चमड़ी सूनी हो जाएं.
- चमड़ी काली पड़ने लगे और खून बहने लगे तो बिना देरी किए डाक्टर को दिखाएं.
- पढ़िए चार मरीजों की दर्दनाक दास्तां
पहला केस : रोहतक निवासी 65 वर्षीय वृद्धा ने बताया कि कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉइड चल रहे थे. कोरोना से जंग जीती तो एक हफ्ते बाद ही आंखों पर सूजन आ गई और कम दिखाई देने लगा. हस्पताल पहुंचकर एमआरआई और सीटी स्कैन कराया तो पता चला कि फंगस से इन्फेक्शन उपरी जबड़े और दाईं आंख तक पहुंच चुका है. दाईं आंख और जबड़े का हिस्सा आपरेशन से निकालना पड़ा. बेशक डाक्टरों ने महिला की जान बचा ली हो , लेकिन जिन आंखों के सहारे बुढ़ापे की नैया पार लगानी थी,वो तो काले फंगस ने छीन ली.
दूसरा केस: झज्जर निवासी 31 वर्षीय महिला ने बताया कि कोविड महामारी से निपटने के करीब 5 दिन बाद ही चेहरे पर सूजन व आंख में दर्द से आंखों से दिखना बंद हो गया. सीटी स्कैन के बाद आपरेशन से बाईं आंख को निकालना पड़ा. काला फंगस आंख व नाक को बुरी तरह से प्रभावित कर चुका था. जान तो बच गई लेकिन काले फंगस का दंश तमाम उम्र का दर्द दे गया.
तीसरा केस: सोनीपत निवासी 28 वर्षीय महिला ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचने के बाद फंगस की वजह से जबड़े के उपर का हिस्सा, नाक और आंख का निचला हिस्सा संक्रमित हो चुका था. संक्रमण की वजह से दिमाग पर भी असर पड़ने लगा था. आपरेशन से दोनों आंखों की रोशनी सलामत रह गई. महिला ने कहा कि समय पर इलाज नहीं करवाया होता तो शायद परिणाम ओर गंभीर हों सकते थे.
चौथा केस: हिसार निवासी 25 वर्षीय युवक ने बताया कि कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान ही फंगस नाक के अंदर से होते हुए आंख व दिमाग को पूरी तरह संक्रमित कर चुका था. शूगर लेवल हाई होने की वजह से युवक की मौत एक दिन के भीतर अस्पताल पहुंचने के दौरान ही हो गई.
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