रोहतक | एक समय था जब इंटरनेट और सोशल मीडिया का जमाना नहीं था. तब हमें अपने आसपास के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व दुर्लभ इमारतों या धरोहरों की जानकारी नहीं होती थी. लाल किला, कुतुब मीनार ताज महल तक ही हमारी सोच सीमित रहती थी, लेकिन अब जब से इंटरनेट का विस्तार हुआ है हर एक चीज की जानकारी हमें चुटकियों में मिल जाती है. इसी क्रम में आज हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों की जानकारी देंगे जो दिल्ली से केवल कुछ ही घंटे की दूरी पर स्थित है.
सुबह जाकर शाम को आ सकते है वापस
यहां आप अपने परिवार के साथ जाकर आपने फुरसत के पलों को बिता सकते हैं. खास बात यह है कि आप सुबह जाकर शाम को ही वापस अपने घर भी लौट सकते हैं. इससे आपका ज्यादा समय भी नहीं लगेगा और ज्यादा दूर न होने की वजह से आपका पैसा भी कम खर्च होगा. आज हम जिन 4 जगहों के बारे में आपको बताएंगे, वह हरियाणा के रोहतक जिले में स्थित है.
तिल्यार झील
इन सभी जगह का अपना ऐतिहासिक महत्व है तथा सभी की अपनी अलग खासियत है. दिल्ली से केवल 70 किलोमीटर दूर स्थित रोहतक वैसे तो राज्य के सबसे समृद्ध जिलों में से एक माना जाता है. इसके अलावा, यहाँ घूमने के लिए भी कई प्रसिद्ध जगह हैं, जिनमें से एक है तिल्यार झील. यहाँ आकर आपको प्राकृतिक सुंदरता के नजारे देखने को मिलेंगे ही. साथ ही, अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए यह अनुकूल जगह साबित हो सकती है.
चिडियाघर
इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर हमने जिस जगह को रखा है उसका नाम है चिड़ियाघर. यहाँ आपको प्राकृतिक सुंदरता तो देखने को मिलेगी ही. साथ ही, आपको विभिन्न प्रजाति के जानवर भी देखने को मिलेंगे. बच्चों के साथ घूमने के लिए यह एक बेस्ट जगह साबित हो सकती है.
जानी चोर की बावड़ी
जिस तीसरी जगह की हम बात कर रहे हैं, वह जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर महम में स्थित है. इसका नाम है जानी चोर की बावड़ी. ऐसी मान्यताएं हैं कि यहाँ पर रॉबिन हुड की तरह इलाके का मशहूर ज्ञानी चोर रात को अमीर लोगों को लूटकर दिन के समय उन पैसों को गरीबों में बांट देता था. छुपने के लिए वह इस रहस्यमय बावड़ी का इस्तेमाल करता था. ऐसी मान्यताएं हैं कि आज भी यहाँ बड़ा खजाना छुपा हुआ है. यहाँ जाकर आप रहस्य और रोमांच की दुनिया में खो जाएंगे.
दुर्गा भवन मंदिर
इस लिस्ट में हमने चौथे नंबर पर जिस जगह को रखा है वह है भिवानी बस स्टैंड स्थित दुर्गा भवन मंदिर. यह शहर का सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है. इस मंदिर की स्थापना 13 अप्रैल सन 1949 में स्वामी गुरु चरण दास द्वारा की गई थी. यहाँ आकर आप भक्तिमय माहौल में खो जाएंगे. यहाँ की विशेष बात यह है कि यहाँ आपको दुर्गा जी की मूर्ति के साथ नौ देवियों की मूर्ति के भी दर्शन हो जाते हैं. आम दिनों में मंदिर के द्वार सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक खुलते हैं. नवरात्रों के दिनों में यहाँ हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है.ू
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