सिरसा। स्टेट हाइवे-32 पर सिरसा शहर से 44 किलोमीटर दूर एक गांव बसता है बिज्जूवाली , जिसका इतिहास बहुत पुराना है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव कई बार उजड़कर वर्तमान स्थल पर बसाया गया है. सबसे पहले गांव वर्तमान जगह से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित जोहड़ी के पास बसा था. पुरानी जोहड़ी की व्यवस्था वर्तमान गांव में थी तो लोग यहीं वापस आकर रहने लगे. ग्रामीणों ने बताया कि जोहड़ी के पानी के पास ही बिज्जू नामक जानवर रहता था. इसी वजह से उस समय ग्रामीणों ने गांव का नाम बिज्जूवाली रख दिया था.
भाईचारे की मिसाल है गांव
गांव बिज्जूवाली साल 1957 में ग्राम पंचायत मुन्नांवाली से अलग होकर अस्तित्व में आया था और बिशनदास नाम के शख्स को गांव में पहले सरपंच के रूप में चुना गया. ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय खेती-बाड़ी करना है. गांव में सुनार, शर्मा, ठाकर, राजपूत, ओड, जाट, बावरी, हरिजन (मेघवाल), मेहता, अरोड़ा, सुथार, महाशया, नायक, बाजीगर, कुम्हार, कम्बोज, सिख और बाल्मीकि बिरादरी के लोगों की प्रमुखता है और आसपास के क्षेत्र में गांव के भाईचारे की मिसाल दी जाती है.
गांव में ये हैं सुविधाएं
दि प्राथमिक कृषि सहकारी समिति लिमिटेड (पैक्स), जलघर, डाकघर, कम्यूनिटी हाल, उपस्वास्थ्य केंद्र, पशु अस्पताल, तीन आंगनबाड़ी केंद्र, सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक, बस स्टैंड, सीनियर सेकेंडरी स्कूल, प्राइमरी स्कूल, प्राइवेट स्कूल, खरीद केंद्र, पतवार भवन, धर्मशाला, स्टेडियम, पंचायत घर, रामदेव मंदिर, गोगामेड़ी, शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, शनि मंदिर व मस्जिद, रामलीला मैदान सहित अनेक सुविधाएं हैं.
गांव की मुख्य मांग
• गांव के सरकारी अस्पताल में दवाइयां उपलब्ध करवाई जाए.
• युवाओं के लिए जिम खोला जाए.
• गांव में बंद पड़ी लाइटों को शुरू करवाया जाए.
• गांव में सफाई व्यवस्था व पानी निकासी का उचित प्रबंध किया जाएं.
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