सिरसा | हरियाणा में लोकसभा चुनाव की तर्ज पर विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) में भी चौटाला परिवार एक- दूसरे के खिलाफ चुनावी ताल ठोक सकता है. इस बार खास बात यह होगी कि देवीलाल परिवार के सदस्य अलग- अलग पार्टियों से चुनावी रण में होंगे. पंजाब और राजस्थान के बार्डर से लगती हरियाणा की डबवाली विधानसभा सीट पर इस बार नए समीकरण बनते दिख रहे हैं और यहां मुकाबला काफी रोचक होगा.
देवीलाल परिवार के 4 सदस्य एक्टिव
चौटाला परिवार जहां डबवाली की अपनी परम्परागत सीट को फिर से वापस पाने की जद्दोजहद करेगा. यहां INLD की ओर से अभय चौटाला की पत्नी कांता चौटाला चुनावी रण में उतर सकती है और यहां वो काफी समय से सक्रिय दिख रही है. वैसे भी डबवाली विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा बार जीत इनेलो पार्टी को ही मिली है.
इस सीट से मौजूदा कांग्रेस विधायक अमित सिहाग फिर से जीत का स्वाद चखना चाहेंगे, जबकि पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय चौटाला JJP की ओर से चुनाव लड़ सकते हैं. उन्होंने भी इस हल्के में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. BJP से आदित्य चौटाला के चुनाव लड़ने की चर्चाएं चल रही है. ऐसा पहली बार होगा जब 4 अलग- अलग राजनीतिक दलों से चौटाला परिवार के सदस्य एक- दूसरे के खिलाफ चुनाव लडेंगे.
एक ही गांव से 4 प्रत्याशी
डबवाली विधानसभा क्षेत्र में पंजाब के साथ लगते इलाकों में पंजाबी वोटर्स और राजस्थान के साथ लगते इलाकों में बागड़ी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. चौटाला परिवार की पकड़ दोनों ही बेल्ट में मजबूत मानी जाती है. इस विधानसभा सीट के अंतर्गत चौटाला, गंगा, कालुआना, बनवाली और ओढ़ा की गिनती बड़े गांवों में होती है. इस बार चारों प्रत्याशी एक ही गांव चौटाला से हो सकतें हैं. हालांकि, इसी गांव से ज्यादा विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं.
ताऊ देवीलाल के कुनबे से सभी लोग
दिग्विजय चौटाला अजय चौटाला के छोटे बेटे हैं और देवीलाल के पड़ पौत्र हैं. वहीं आदित्य चौटाला ताऊ देवीलाल के पौत्र हैं. डॉ. केवी सिंह देवीलाल के भतीजे हैं और इनका बेटा अमित सिहाग मौजूदा विधायक हैं. कांता चौटाला देवीलाल की पौत्र बहू है. ऐसे में चारों ही दावेदारों की नजदीकी रिश्तेदारियां हैं.
कांता चौटाला दिग्विजय चौटाला की चाची और आदित्य चौटाला की भाभी हैं. डॉ. केवी सिंह कांता चौटाला के ससुर हैं. डॉ. केवी सिंह और आदित्य का चाचा- भतीजे का नाता है. ऐसे में हरियाणा में शायद डबवाली ही ऐसी इकलौती सीट होगी, जहां इस पर प्रदेश के एक बड़े सियासी घराने के सदस्य एक- दूसरे के खिलाफ चुनावी ताल ठोकेंगे.
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