सिरसा । सितंबर महीने में बरसात की मार ने कपास की फसल को तबाह करने का काम किया था तो वहीं बची-खुची कसर गुलाबी सुंडी ने पूरी कर दी. पड़ोसी राज्य पंजाब में भी इसी वजह से कपास उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है जिसके चलते पंजाब ने अपने क्षेत्र में स्थित कॉटन फैक्ट्री को जिंदा रखने के लिए सीमावर्ती खरीद केंद्रों पर कपास खरीदना शुरू कर दिया है. पंजाब के आढ़ती इस काम में अपनी सरकार का सहयोग कर रहे हैं.
बुधवार को मंडी किलियांवाली में इसका नजारा भी देखा गया जहां भाव को लेकर हरियाणा पंजाब में मुकाबला हो गया. पंजाब में भाव जहां 7400 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया तो वहीं डबवाली में रिकॉर्ड तोड़ 7620 रुपए भाव मिला. डबवाली में एक दिन में जहां करीब चार हजार क्विंटल कपास की खरीद हुई तो वही पंजाब में खरीद के पहले दिन 80 क्विंटल कपास पहुंची.
न्यूनतम बोली में पंजाब आगे
डबवाली मंडी की बात की जाए तो तीन दिनों में कपास बहुत अधिक मात्रा में पहुंची है. 4 अक्टूबर को जहां अधिकतम भाव 7025 रुपए प्रति क्विंटल था तो वहीं न्यूनतम भाव एमएसपी से कम 5000 रुपए भी रहा. 5 अक्टूबर को न्यूनतम मूल्य एमएसपी से नीचे रहा. किसान को फसल 5850 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बेचनी पड़ी.जबकि अधिकतम भाव 7150 था. 6 अक्तूबर को पंजाब में मंडी शुरू होने से भाव में उछाल आया. न्यूनतम मूल्य 6200 था। हालांकि पंजाब में न्यूनतम मूल्य 7200 दर्ज किया गया.
एसडीएम ने किया निरीक्षण
डबवाली अनाज मंडी में कपास के औने-पौने दाम मिलने की सूचना पर एसडीएम राजेश पूनिया ने सतर्कता दिखाते हुए नायब तहसीलदार की मंडी में तैनाती की. उनकी निगरानी में बोली शुरू की गई और एसडीएम खुद भी निरीक्षण करने पहुंचे. एसडीएम ने मार्केट कमेटी सचिव वीरेंद्र मेहता को सख्त निर्देश दिए कि कपास को सरकारी बोली पर ही खरीदा जाएं. उन्होंने कहा कि कार्य में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा.
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