सिरसा । ऐलनाबाद शहर की झुग्गी-बस्ती से निकलकर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का ख्वाब देखने वाले पर्वतारोही हुकमचंद उर्फ चांद माही ने इतिहास रचा है. उन्होंने वीरवार की सुबह छः बजे यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर अपने देश व क्षेत्र का नाम सुनहरे अक्षरों में लिख दिया है. हुकमचंद ने अपनी इस कामयाबी के बाद भारत माता जयघोष के नारे लगाए.
अपने इस अभियान को अमलीजामा पहनाने के लिए हुकमचंद बीती एक जुलाई को ऐलनाबाद से रुस के लिए उड़ान भरी थी. उन्हें यहां के उपमंडल सामान्य अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में भारत माता की जय और वंदेमातरम के नारों के साथ फूल-मालाएं पहनाकर शानदार विदाई दी गई थी. हुकमचंद उर्फ चांद माही ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने के लिए गत तीन जुलाई से अपना अभियान शुरू किया था , जिसमें वीरवार सुबह ही वह अभियान को अमलीजामा पहनाने में कामयाब रहे हैं. पर्वतारोही हुकमचंद की इस उपलब्धि पर शहर के विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने बधाई देकर उनके जल्द घर लौटने की कामना भी की.
झुग्गी-बस्ती में रहते हैं हुकमचंद
आपकों बता दें कि पर्वतारोही हुकमचंद शहर की झुग्गी-बस्ती में रहते हैं. हुकमचंद इससे पहले हिमाचल में 15 हजार 500 फीट से 18 हजार फीट तक की 6 चोटियों पर फतह हासिल कर चुके हैं. उनके इन अभियानों के लिए शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने आर्थिक मदद मुहैया कराई थी. हुकमचंद के पास रुस आने-जाने के लिए हवाई जहाज की टिकट का खर्चा और कोर्स की बाकी फीस चुकाने के लिए धनराशि का अभाव था. पर्वतारोहण के लिए स्नो बूट,आइस एक्स क्रेमपोन, डाउन फैदर जैकेट, वाटरप्रुफ ग्लव्स आदि जरुरत का सामान खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे लेकिन समाजसेवी संस्थाओं ने उनकी आर्थिक मदद कर रुस रवाना किया.
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