सिरसा | इतिहास के अंदर आज भी बहुत से कहानी- किस्से हैं जिन्हें सुनकर मन रोमांचित हो उठता है. ऐसी ही एक कहानी का हम यहां जिक्र कर रहे हैं जिसका इतिहास 150 साल पुराना है. डबवाली- सिरसा सड़क मार्ग पर स्थित गांव टप्पी, जिसकी कहानी करमचंद पंडित से जुड़ी हुई है. बताते हैं कि साल 1870 में पंजाब के तुंगवाली से कर्मचंद पंडित नाम के शख्स को इस गांव का जनक माना जाता है.
बताते हैं कि जब कर्मचंद पंडित इस क्षेत्र में आया तो यहां सिर्फ वीरान जगह ही थी, आसपास के क्षेत्र में कोई नहीं रहता था. तब कर्मचंद ने अपने रहने के लिए घास- फूस की एक झोपड़ी का इंतजाम करते हुए गांव की नींव रखी. धीरे- धीरे पंडित व कुछ अन्य बिरादरियों से लोग यहां आकर बसने लगे और लोगों के रहन- बसेरे ने गांव का आकार ले लिया.
गांव के इतिहास को लेकर बड़े बुजुर्गो का कहना है कि कर्मचंद पंडित ने अपने रहने के लिए जो घास- फूस की झोपड़ी बनाई थी, उसे टप्प कहा गया जो बाद में गांव का नाम टप्प से टप्पी पड़ गया. बुजुर्गो ने बताया कि गांव में सभी बिरादरी के लोगों का भाईचारा आज भी पहले की तरह कायम है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक गांव की आबादी 1170 है. गांव में 611 पुरुष तथा 559 महिलाएं हैं.
चुनावों में एकता की मिठास
इतिहास को समेटे इस गांव की एकता की मिसाल आज भी दी जाती है. इस एकता का ताजा उदाहरण 2016 में गांव में हुए पंचायत चुनाव में देखने को भी मिला था, जब ग्रामीणों ने आपसी सहमति से पढ़े- लिखे युवा धर्मेंद्र शर्मा को सरपंच प्रतिनिधि बनाया था. सरकार ने सर्वसम्मति से चुनी हुई पंचायत को गांव के विकास के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में 11 लाख रुपये दिए थे.
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