झज्जर और जींद के बाद सोनीपत के जुआं गांव में भी पंचायत चुनावों का बहिष्कार, सभी कैंडिडेट्स ने वापस लिए नामांकन

सोनीपत | हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों का दौर जारी है. जींद, झज्जर के बाद सोनीपत जिले के एक गांव से भी पंचायत चुनावों के बहिष्कार की खबर सामने आ रही है. यहां गांव की 500 एकड़ भूमि पर जमा हुए पानी की निकासी का समाधान नहीं होने की वजह से ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करने का फैसला लिया है. यहां ग्रामीण अपनी मांग पूरी करवाने को लेकर पिछले 11 दिनों से लघु सचिवालय के बाहर भुख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

Haryana Panchayat Election 2022

बता दें कि पूरा मामला सोनीपत जिले के गांव जुआं से हैं जहां ग्रामीणों ने पानी निकासी का समाधान नहीं होने पर पंचायत चुनावों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. यहां जुआं-1 की पंचायत के लिए गांव में सरपंच और पंचों के लिए जमा करवाएं गए सभी 23 नामांकन सोमवार को वापिस ले लिए गए हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन पर आरोप जड़ते हुए कहा है कि उनकी मांग पर विचार नहीं किया जा रहा है इसलिए पंचायत चुनावों के बहिष्कार का फैसला लिया गया है. इस मामले को लेकर प्रशासन का कहना है कि नामांकन वापस लेने की पुष्टि जांच के बाद ही की जा सकती है.

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वहीं, गांव जुआं-1 के निवर्तमान सरपंच धर्मवीर सिंह ने बताया कि गांव में सरपंच पद के लिए 4 और पंच पद के लिए 23 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था लेकिन गांव की 500 एकड़ जमीन पर जमा पानी की निकासी की समस्या का समाधान नहीं होने पर सभी ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से विचार करते हुए पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया है. नामांकन वापस लेने की लास्ट डेट पर इन प्रत्याशियों ने अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए हैं. नामांकन पत्र वापस लेने के आखिरी दिन जिन प्रत्याशियों ने अपने नामांकन वापस लिए है, उन सभी का धरना स्थल पर पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया है.

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प्रशासन समस्या के समाधान के लिए तैयार

इस मामले को लेकर सोनीपत डीसी ललित सिवाच ने बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि जुआं-1 गांव की जमीन पर गहरे पानी की निकासी की समस्या है. इसके समाधान हेतु प्रशासन 10 पाइप दबाने को तैयार हैं लेकिन दोनों गांवों की सहमति का इंतजार है. जैसे ही सहमति बनती है तो इस काम को शुरू कर दिया जाएगा. वहीं, नामांकन पत्र वापस लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में जांच उपरांत ही कुछ कहा जा सकता है. चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना, ग्रामीणों की मर्जी पर निर्भर करता है लेकिन पंचायत चुनावों में बाधा डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

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