सोनीपत । कहते हैं कई बार पशु व पक्षियों से हमारा इतना गहरा संबंध बन जाता है, जितना इंसान से. दुनिया में इस तरह के उदाहरण भी बहुत देखने को मिलते हैं. ऐसा ही एक मामला सोनीपत जिले के गांव सोहटी से सामने आया है जिसे सुनकर आपको भी आश्चर्य होगा.
यहां एक पशुपालक जयभगवान ने अपनी भैंस के निधन पर गांव में वाटिका बुक की और आसपास के विभिन्न गांवों के लोगों को दावत पर बुलाया. पंचायती तौर पर आसपास के गणमान्य व्यक्तियों को निमंत्रण दिया गया. जयभगवान ने बताया कि उसे अपनी भैंस के साथ इतना ही लगाव था जितना कि घर के व्यक्तियों के साथ होता है. वह भैंस को अपने परिवार का एक सदस्य मानते थे. लेकिन हर पशु के जीवन की एक सीमा होती है और करीब 17 दिन पहले उसकी भैंस की मौत हो गई. वो इस भैंस को भिंडी नाम से पुकारते थे.
भैंस की खुब सेवा की
जयभगवान ने बताया कि इस भैंस की मां को गांव लोवा माजरा से लेकर आएं थे. जब कटिया का जन्म हुआ तो उन्होंने इसे पाला. तब से लेकर अब तक करीब 23-24 साल से इस भैंस को पालें हुए थे. इस भैंस ने पूरे परिवार को खूब दूध पिलाया और एक सदस्य के रूप में परिवार के लोगों के दिलों में अपनी विशेष जगह बना ली थी. जब भैंस का अंतिम समय नजदीक आया तो हम दोनों मियां-बीवी को बहुत दुःख हुआ लेकिन हमने उस समय भी भैंस की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
जलेबी व सब्जी पूरी का भंडारा
जयभगवान ने बताया कि भैंस की मौत होने पर उसे अपने घर में ही दबाकर अंतिम विदाई दी गई. मंगलवार को सत्रहवीं के मौके पर गांव में जलेबी व सब्जी पूरी का भंडारा किया और आसपास के लोगों को दावत पर बुलाया.
उन्होंने बताया कि इस भैंस ने अधिकतम 22 लीटर दूध दिया है. इस भैंस ने अधिकतर कटियों को ही जन्म दिया जो आज भी गांव के कई परिवारों में है. ग्रामीणों को आशा है कि इसी तरह से इनका भी इतिहास होगा और यें भी अपनी मां की तरह एक अच्छी नस्ल की पशु साबित होंगी.
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