सोनीपत | हरियाणा के सोनीपत के घूमड़ का युवा किसान इन दिनों चर्चाओं में है. कारण यह है कि युवा किसान सचिन ने पराली की समस्या का समाधान ढूंढ लिया है. युवा किसान पराली के अवशेषों से स्ट्रॉ बेलर (बंडल) बनाकर सीजन में फैक्ट्रियों, मशरूम फार्म और रिफाइनरी में बेचकर 6 से 7 लाख रुपये कमा रहे हैं. दरअसल, फसल काटने के बाद पराली एक बड़ी समस्या बन जाती है, किसान इसे जला देते हैं जिससे प्रदूषण होता है.
एक हजार रुपये में खरीदते हैं भूसा
युवा किसान सचिन आसपास के गांवों और जिलों के किसानों से एक हजार रुपये में भूसा खरीदते हैं और 30 मिनट के अंदर सभी अवशेषों का स्ट्रॉ बेलर बनाकर बेचते हैं. ऐसा करके वह हर सीजन में 6 से 7 लाख रुपये कमा रहे हैं. पराली के धुएं से लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत होती है.
पराली जलाने से मित्र कीट होते हैं नष्ट
खेतों में पराली जलाने से मिट्टी में पाए जाने वाले मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं. पराली जलाने से न केवल हवा प्रदूषित हो रही है बल्कि इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब हो रही है. सरकार किसानों को जागरूक करने के लिए लाखों रुपये खर्च कर रही है.
सब्सिडी पर दे रहे मशीन
बता दें कि पराली की समस्या से निपटने के लिए सरकार किसानों को सब्सिडी पर यह मशीन दे रही है ताकि व्यवस्था का सही समाधान हो सके. सचिन अब तक 600 एकड़ से ज्यादा पराली से स्ट्रॉ बेलर बना चुके हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, पराली जलाने से खेत में मौजूद नाइट्रोजन 100 फीसदी, फास्फोरस 25 फीसदी, पोटाश 20 फीसदी और सल्फर 60 फीसदी नष्ट हो जाता है. इससे खेत की नमी भी खत्म हो जाती है जिससे किसानों को दोहरा नुकसान होता है. इससे भूमि की उर्वरता भी कम हो जाती है.
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