जींद | हरियाणा के पहलवानों ने पूरे देश को हमेशा गर्व महसूस करने का अवसर दिए हैं. टोक्यो ओलंपिक 2020 के बाद अब विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भी हरियाणा के खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. हरियाणा की पहलवान अंशु मलिक ने बुधवार रात खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में एकतरफा जीत दर्ज करते हुए फाइनल में जगह बना ली है. विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच कर अंशु ने इतिहास रच दिया है.
नॉर्वे के ओस्वे में आयोजित हो रही विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में बुधवार को भारतीय महिला पहलवान 19 वर्षीय अंशु मलिक ने 57 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल मुकाबले में जगह बना कर इतिहास रच दिया. अंशु विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बन चुकी है. उनसे पहले पहलवान सुशील कुमार (2010) और पहलवान बजरंग पूनिया (2018) यह कमाल कर चुके हैं.
19 वर्षीय अंशु मलिक का फाइनल में पहुंचने तक का सफर काफी अच्छा रहा. उन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले में यूक्रेन की पहलवान को 11-0 से एकतरफा मात दी. इससे पहले क्वार्टरफाइनल में अंशु ने मुकाबले में कजाखस्तान की निलुफर रेमोवा को तकनीकी दक्षता के आधार पर हराया. इसके बाद क्वार्टरफाइनल में अंशु ने मंगोलिया की देवाचिमेग एर्खेमबायर को 5-1 से शिकस्त दी.
विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में पहुंचने के बाद अंशु मलिक ने कहा कि फाइनल में पहुंचकर काफी खुशी हो रही है. ओलंपिक में जो कसर रह गई थी उसे वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में पूरा करना है. उन्होंने बताया कि यह सफर आसान नहीं था. ओलंपिक के बाद तैयारी के लिए कुल 2 महीने थे और इस दौरान उनकी इंजरी भी हो गई. दर्द को सहते हुए तैयारी की है. अंशु मलिक का टोक्यो ओलंपिक 2020 मैं भी प्रतिभाग किया लेकिन उन्हें पहले ही मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा.
विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में अब तक 4 महिलाओं ने पदक जीता है लेकिन सभी को ब्रॉन्ज मेडल मिला है. गीता फोगाट ने 2012 में, बबीता फोगाट ने 2012 में, पूजा ढांडा ने 2018 और विनेश फोगाट ने 2019 में कांसे का तमगा जीता था. अंशु विश्व चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचने वाली तीसरी भारतीय है. उनसे पहले सुशील कुमार (2010) और बजरंग पूनिया (2018) यह कमाल कर चुके हैं, इनमें से सुशील ही स्वर्ण जीत सके हैं.
पहलवान अंशु मलिक हरियाणा के जींद जिले के गांव निडानी से हैं. अंशु का जन्म 5 अगस्त 2001 में हुआ था और इस लिहाज से वह अभी मात्र 19 वर्ष की ही हैं. 12 वर्ष की आयु से ही अंशु अखाड़े में उतर गई थी. अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है. उनके ताऊ नेशनल लेवल के पहलवान थे और पिता भी पहलवान ही हैं. उन्होंने ही अंशु मलिक को शुरुआती दांव-पेच सिखाए थे. वर्ष 2016 में अंशु मलिक ने जूनियर स्तर पर हुई विश्व कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था.
वर्ष 2018 में भी अंशु मलिक ने विश्व कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता. इसके बाद वर्ष 2019 में जूनियर स्तर हुई एशियन चैंपियनशिप में अंशु ने गोल्ड मेडल जीता. वर्ष 2020 में नई दिल्ली में हुई एशियन चैंपियनशिप में अंशु ने ब्रॉन्ज जीता. वर्ष 2020 हुए वर्ल्ड कप में अंशु को सिल्वर मेडल मिला. वर्ष 2021 में अलमाती में हुई एशियन चैंपियनशिप में अंशु को गोल्ड मेडल हासिल हुआ था.
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