झज्जर | आज टोक्यो ओलंपिक के 15वें भारतीय स्टार पहलवान बजरंग पूनिया के मुकाबले में पूरे देश की नजर थी. कुश्ती में बजरंग पुनिया से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी लेकिन कुछ ही देर पहले बजरंग पुनिया को सेमीफाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा है. हालांकि अभी भी बजरंग पुनिया के पास कांस्य पदक जीतने का मौका है.
टोक्यो ओलंपिक में कुछ ही देर पहले करीब 3:00 बजे पुरुषों के 65 किग्रा वर्ग में फ्री स्टाइल कुश्ती का सेमीफाइनल मुकाबला गया. सेमीफाइनल मुकाबले में भारत के बजरंग पुनिया के सामने ओलंपिक पदक विजेता और तीन बार के विश्व चैंपियन हाजी अलीयेव की कठिन चुनौती थी.
मुकाबले की शुरुआत में बजरंग ने 1 अंक हासिल किया लेकिन पहले हाफ में हाजी ने अच्छा प्रदर्शन किया और 4-1 से बढ़त बना ली. दूसरे हाफ में भी विपक्षी खिलाड़ी बजरंग पर हावी दिखे और 4 अंकों के साथ 8-1 से बढ़त बना ली. बजरंग ने फिर से मुकाबले में वापसी की ओर स्कोर को 8-5 कर दिया. और अंत में हाजी ने 12-5 से मुकाबले को जीत लिया. बजरंग पुनिया अब कांस्य पदक के लिए अपना अगला मुकाबला खेलेंगे.
बजरंग पुनिया का टोक्यो ओलंपिक सफर
भारतीय स्टार रेसलर बजरंग पुनिया का पुरुषों के 65 किग्रा भार फ्रीस्टाइल कुश्ती का क्वार्टर फाइनल मुकाबला ईरान के पहलवान घियासी चेका मुर्तजा के साथ हुआ. इस मुकाबले की शुरुआत में मुर्तजा ने एक अंक की बढ़त बना ली लेकिन बजरंग पुनिया ने शानदार वापसी करते हुए उन्हें चित कर दिया. बजरंग पूनिया ने ईरान के मुर्तजा को 2-1 से पटकनी दी है. इससे पहले बजरंग पूनिया ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबला जीत. किर्गिस्तान के एर्नाजर अकमातालिवे के खिलाफ बजरंग पूनिया को बेहद कड़ी टक्कर मिली और मुकाबला 3-3 से बराबरी पर रहा. लेकिन बजरंग पूनिया ने दो प्वाइंट का दाव लगाया था और इसी वजह से उन्हें विजेता घोषित किया गया है.
पहलवान बजरंग पुनिया का जन्म सन 1994 में 26 फरवरी को भारत देश के हरियाणा राज्य के झज्जर जिले के खुदन गांव में हुआ था. लेकिन लंबे समय से सोनीपत में परिवार के साथ रहते हैं. बजरंग को कुश्ती विरासत में मिली. उनके पिता बलवान पूनिया अपने समय के नामी पहलवान रहे. लंबे समय तक बजरंग ने ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त अखाड़े में पहलवानी की लेकिन बाद में वो वहां से अलग हो गए. बजरंग की कुश्ती की शैली योगेश्वर दत्त से मिलती-जुलती है.
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