महेन्द्रगढ़ | हरियाणा में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि के कहर ने अन्नदाता का हाल बेहाल कर दिया है. ओलावृष्टि का ऐसा खौफनाक मंजर कि एक दिन बीत जाने पर भी खेतों में पड़े ओले पिघले नहीं है. शुक्रवार शाम चार बजे महेन्द्रगढ़ के कई गांवों में भयंकर ओलावृष्टि हुई थी लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बावजूद भी खेतों में ज्यों के त्यों पड़े मिले ओले किसानों का दर्द बढ़ा रहे हैं.
गांव बुडीन के एक किसान ने बताया कि अगले दिन सुबह बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लेने खेतों में पहुंचे तो नजारा देखकर हैरान रह गए. 24 घंटे बाद भी खेतों में ओले पड़े हुए थे. किसान का कहना है कि ओलावृष्टि ने गेहूं की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. पककर तैयार हो चुकी गेहूं की बालियां नीचे जमीन पर गिर पड़ी है. वहीं, सरसों के खलिहानों में ओलों के आपस में चिपकने से 10 से 20 किलोग्राम के ढेर जम गए. उन्होंने बताया कि आजतक उन्होंने अपने जीवन में ऐसी भयंकर ओलावृष्टि नहीं देखी थी.
बता दें कि शुक्रवार शाम को 4 बजे बुडीन, भांखरी की ढाणी, खातोदड़ा, निंबेंड़ा, बलायचा और आसपास के गांवों में करीब 30 मिनट तक जमकर ओलावृष्टि हुई है. खेत- खलिहान से लेकर मकानों की छत पर ओलों की मोटी परत जम गई थी. हजारों पक्षियों की ओलावृष्टि की चपेट में आने से जान चली गई है.
100 साल की उम्र में नहीं देखी ऐसी ओलावृष्टि: बुजुर्ग
गांव बुडीन से 100 वर्षीय बुजुर्ग महिला कलावती देवी की भयंकर ओलावृष्टि से हुई तबाही को बयां करते हुए आंखें भर आई. उन्होंने बताया कि आज तक ऐसी भयंकर ओलावृष्टि नहीं देखी थी. ओलावृष्टि से फसलों में बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है.
सरकार से मुआवजे की मांग
गांव बुडीन के सरपंच धर्मवीर ने बताया कि ओलावृष्टि से गांव में गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. ओलावृष्टि का ऐसा खौफनाक मंजर था कि 24 घंटे के बाद भी खेतों में ओले ज्यों के त्यों पड़े हुए थे. सूचना मिलते ही उपमंडल अधिकारी हर्षित कुमार ने मौके पर आकर मुआवना किया है. हमारी सरकार से मांग है कि स्पेशल गिरदावरी कराकर किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए.
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