करनाल । जैसी उम्मीद जताई गई थी, ठीक उसके मुताबिक पहला पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय के पास पहुंच गया है. पूरा मार्च महीना और उसके बाद अप्रैल माह के पहले 12 दिनों के दौरान कोई महत्वपूर्ण पश्चिमी विक्षोभ नजर नहीं आया. ताजा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से हिमालय के कई हिस्सों में बारिश की गतिविधियां शुरू हो गई है. इससे पहाड़ी क्षेत्रों में लू का प्रकोप खत्म हो जाएगा और उत्तर पश्चिमी भारत में भी तापमान में गिरावट दर्ज होगी.
दक्षिण-पश्चिम हरियाणा में दो- तीन जगहों पर हल्की धूल भरी आंधी चली है. वहीं दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में भी रात भर तेज रफ्तार से धूल भरी आंधी चलने का सिलसिला जारी रहा. वही उत्तरी राजस्थान के कुछ हिस्सों में प्री- मानसून की पहली धूल भरी आंधी की गतिविधियां देखी गईं, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज हुई है.
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया है कि अब अगले 24 घंटों के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, दिल्ली के कुछ हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में प्री-मानसून गतिविधियों के लिए स्थितियां अनुकूल बनी हुई है. बता दें कि इस साल मार्च और अप्रैल के पहले पखवाड़े में लंबे समय से लू का प्रकोप चल रहा है. इंतजार करना होगा और देखना होगा कि मई के महीने में मौसमी परिस्थितियां कैसी बनी रहती है.
देशभर में यह बना हुआ है मौसमी सिस्टम
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस समय उत्तरी पाकिस्तान और आसपास के क्षेत्रों में एक पश्चिमी विक्षोभ बढ़ा हुआ है. पाकिस्तान के मध्य भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है. विदर्भ से दक्षिण आंतरिक कर्नाटक तक मराठवाड़ा और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक से गुजरते हुए निचले स्तरों पर एक ट्रफ बनी हुई है. एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण पूर्व अरब सागर और केरल के आसपास के क्षेत्रों में बना हुआ है.
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