हिसार । पिछले 5-6 महीनों से हरियाणा प्रदेश की जलवायु में काफी परिवर्तन देखा जा रहा है. कभी बरसात इतनी ज्यादा होती है कि पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो जातें हैं तो कभी रिकॉर्ड तोड़ सर्दी देखने को मिल रही है. सर्दी में भी बारिश आना और उपर से सूर्य देवता द्वारा दर्शन न देना, बहुत ज्यादा ठंड का अहसास करा रहा है. इस सबके पीछे प्रमुख वजह पश्चिमी विक्षोभ है. बता दें कि 2021 से अभी तक सर्वाधिक पश्चिमी विक्षोभ आए हैं और इसके साथ ही इनकी सक्रियता भी देखने को मिली हैं, जिसके चलते पिछले दिनों ओलावृष्टि भी देखी गई.
आमतौर पर 3-4 पश्चिमी विक्षोभ आते हैं, मगर यह भी गारंटी नहीं होती है कि वे सक्रिय भी होंगे या नहीं. लेकिन इस बार पश्चिमी विक्षोभ अधिक आ रहे हैं और सक्रिय होने के साथ-साथ मौसम में बदलाव भी ला रहे हैं. इसके साथ ही साइक्लोनिक सर्कुलेशन का भी प्रभाव देखने को मिल रहा है.
क्या होता है पश्चिमी विक्षोभ
पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यरेखा-क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली वह बाह्य- उष्ण कटिबंधीय आंधी है जो सर्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भागों में अकस्मात मैदानी क्षेत्रों में बारिश तो पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी ले आती है. यह बारिश मानसून की बरसात से भिन्न होती है. यह ईरान ईराक अफगानिस्तान होते हुए भारत में प्रवेश करते हैं.
क्या होता है साइक्लोनिक सर्कुलेशन
जब भी पश्चिमी विक्षोभ गुजरता है तब हवाओं से एक चक्रवात बनता है जिसे साइक्लोनिक सर्कुलेशन कहते हैं. यह सर्कुलेशन हवा व नमी का मिश्रण होता है जो आगे जाकर बारिश करने का काम करता है.
आगे कैसा रहेगा मौसम
पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने तथा राजस्थान के उपर बनें एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते प्रदेश में 21 जनवरी देर रात व 22 जनवरी को उत्तरी व पश्चिमी क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ कहीं-कहीं हल्की व मध्यम बारिश देखने को मिली. इस पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव आज भी देखने को मिल सकता है जिसके चलते हरियाणा के उत्तर पश्चिमी तथा दक्षिणी क्षेत्रों में हवाओं के साथ कहीं-कहीं बूंदाबांदी व हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है. मगर 24 जनवरी को प्रदेश के उत्तरी भाग में कुछेक स्थानों पर छिट-पुट बूंदाबांदी व अन्य क्षेत्रों में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे.
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