कमजोर मानसून से जूझ रहे हरियाणा के लोग, अब तक हुई 40 फीसदी कम बरसात; आगे ऐसे रहेंगे हालात

चंडीगढ़ | 28 जून को हरियाणा में मानसून दाखिल हो गया था. उसके बाद, दक्षिणी हरियाणा के कुछ जिलों में अच्छी खासी बरसात हुई, लेकिन बाकी जिलों में मानसून की सुस्त चाल देखने को मिली. 1 जून से अब तक यहां 40% तक कम बारिश दर्ज की गई. ऐसा ही हाल चंडीगढ़ और पंजाब का भी रहा. यहां सूखे जैसे हालात बने हुए हैं.

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इस साल मानसून रहा कमज़ोर

अमूमन जुलाई को सबसे ज्यादा बारिश वाला महीना माना जाता है, लेकिन इस महीने की भी विदाई भारी बारिश की कमी से हो रही है. इस महीने के जितने भी दिन बाकी बचे हुए हैं, उनमें इसकी कमी पूरा होना लगभग असंभव माना जा रहा है. विभाग का अनुमान है कि हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ सहित समूचे उत्तर भारत में ही इस साल कमजोर मानसून देखने को मिला है. इस मामले में दिल्ली की परिस्थितियों कुछ बेहतर हैं. यहां पर सामान्य से 3% कम बारिश हुई.

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मानसून दोबारा हो सकता है सक्रिय

विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मानसून दोबारा सक्रिय होने के संकेत दे रहा है. मानसून कि अक्ष रेखा अब अपनी सामान्य स्थिति से उत्तर की ओर बदल रही है, जिससे आने वाले चार से पांच दिनों में मानसून की स्थिति में विकास देखने को मिल सकता है. इसके अतिरिक्त, एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय के ऊपर स्थित है, जबकि उत्तर- पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर एक चक्रवाती परिसंचरण भी बना हुआ है. इससे मानसून के दोबारा सक्रिय होने के संकेत मिलते हैं.

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इन सब प्रणालियों के प्रभाव के चलते हरियाणा, दिल्ली- एनसीआर और पंजाब में वर्षा की कुछ उम्मीदें बनी हुई है. अगले सप्ताह के लिए पश्चिमी हिमालय समेत पूरे उत्तरी- पश्चिमी भारत में मानसून सक्रिय होने के आसार बने हुए हैं.

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