करनाल । हवा की दिशा ने अपना रुख बदल लिया है और इसका सकारात्मक प्रभाव गेहूं की फसल पर देखने को मिलेगा. इससे मौसम में शुष्कता बनी रहेगी और गेहूं की फसल अच्छी तरह से पककर तैयार हो जाएंगी. हालांकि हवा की गति की औसत महज 3.2 प्रति किलोमीटर घंटा है लेकिन इसके बावजूद भी यह काफी प्रभावी साबित होगी.
हवा के बदले रुख से वातावरण में नमी की मात्रा घटकर 20-22% रह जाएगी. हवा में नमी की मात्रा कम होती है तो मौसम शुष्क होगा और तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल को फायदा पहुंचेगा. इस समय हाथ से गेहूं की कटाई शुरू होने के साथ-साथ कंबाइन मशीन भी चलना शुरू हो गई है. हवा का रुख ऐसे ही रहा तो एक सप्ताह के ही सभी क्षेत्रों में गेहूं की फसल पूरी तरह से पककर तैयार हो जाएगी.
अभी प्री- मानसून की गतिविधियों की कोई उम्मीद नहीं
मौसम विभाग का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तर पश्चिमी भारत में किसी तरह की मानसून गतिविधि नजर नहीं आ रही है. कमजोर पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय तक दस्तक दे सकते हैं, लेकिन वे पहाड़ियों पर कोई महत्वपूर्ण मौसम गतिविधि देने में सक्षम नहीं होंगे. बलूचिस्तान, मध्य पाकिस्तान और राजस्थान के थार रेगिस्तान से शुष्क हवाएँ उत्तर पश्चिमी भारत में लू की गंभीर स्थिति पैदा कर सकती हैं.
अप्रैल माह के पहले पखवाड़े तक मौसमी गतिविधियां जैसे गरज, धूल भरी आंधी, गरज के साथ तेज बौछारें आदि के घटित होने के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं है. इसलिए, 15 अप्रैल तक उत्तर पश्चिमी भारत में चल रहे गर्म मौसम की स्थिति से किसी तरह की राहत की उम्मीद कम ही नजर आ रही है.
देशभर में यह बना हुआ है मौसमी सिस्टम
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस समय एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर और उससे सटे मध्य पाकिस्तान पर बना हुआ है. एक प्रेरित चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पंजाब और आसपास के क्षेत्रों पर बना हुआ है. दक्षिण तमिलनाडु के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ हैं और एक टर्फ रेखा विदर्भ से कर्नाटक होते हुए आंतरिक तमिलनाडु तक फैली हुई है.
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