चंडीगढ़ | हरियाणावासियों के लिए बुरी खबर है क्योंकि यमुनानगर में जो 800 मेगावाट कोयला बिजली का प्लांट लगना था उस पर रोक लगा दी गई है. प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया है कि इसे पिथेड (झारखंड) में स्थापित किया जाना चाहिए. पीएम के इस फैसले को लेकर हरियाणा सरकार में हलचल शुरू हो गई है. इसके बाद, सरकार ने प्रधानमंत्री के सामने एक प्रेजेंटेशन तैयार किया है. जिसमें बताया है कि प्लांट झारखंड ले जाने पर सरकार को हर साल 180 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
ये है हरियाणा का तर्क
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने हरियाणा की ओर से रखे जाने वाले प्रेजेंटेशन में दो मुख्य बातें बताई गई हैं. इसमें हरियाणा ने यमुनानगर में प्लांट लगाने से सालाना 180 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत का अनुमान लगाया है. इसके साथ ही, प्लांट और प्रोजेक्ट की पूरी अवधि में सरकार को 4,500 करोड़ रुपये की बचत होगी.
बिजली की कीमत में भी आएगा फर्क
हरियाणा का मुख्य तर्क यह भी है कि पिथेट में स्थापित संयंत्र और राज्य में स्थापित संयंत्र तक बिजली की पहुंच लागत में पर्याप्त अंतर होगा. सरकार इस नतीजे पर तब पहुंची है जब सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां तक जमीन की कीमत का सवाल है. राज्य जनरेटर की तुलना में सस्ते हैं.
इसलिए चुना गया था यमुनानगर को
गौरतलब है कि हरियाणा बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एनसीआर में आने के कारण पानीपत की जगह यमुनानगर को चुना गया. साथ ही, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी समय- समय पर दिल्ली में प्रदूषण के कारण परिचालन बंद करने का आदेश दिया है. यमुनानगर में सारी मूलभूत सुविधाएं होने से काफी बचत होगी.
केंद्र- राज्य की बैठक में उठा मुद्दा
आपकी जानकारी के लिए बता दिया जाए कि पिछले हफ्ते केंद्र और राज्य सरकार की बैठक हुई थी. इसके बाद, दोनों राज्यों के विभागों ने तय किया कि यमुनानगर में कोयला बिजली प्लांट लगाने के पक्ष में हरियाणा का प्रेजेंटेशन प्रधानमंत्री के सामने रखा जाएगा. उस प्रेजेंटेशन के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस संबंध में कोई निर्णय लिया जाएगा.
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