यमुनानगर | केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के पाठ्यक्रम में अब छात्र एक किसान के संघर्ष की दास्तां पढ़ते हुए नजर आएंगे. सीबीएसई बोर्ड द्वारा बिजनेस स्टडीज Part-1 की पुस्तक में इस 10 वीं पास इस किसान की उपलब्धियों और संघर्ष के बारे में बताया गया है, जिसे पढ़कर सीबीएसई बोर्ड 12 वीं कक्षा के छात्र स्वरोजगार अपनाकर सफलता की सीढ़ी चढ़ना सीखेंगे. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाने से लेकर सफल उद्यमी बनने की उनकी कहानी को पाठ्यक्रम में दर्शाया गया है.
बता दें कि यमुनानगर जिले के गांव दामला निवासी किसान धर्मवीर सिंह साल 1986 में काम की तलाश में दिल्ली आए. यहां उन्होंने करीब सात महीने तक रिक्शा चलाया लेकिन एक सड़क दुघर्टना में रिक्शा चलाना छूट गया और वापस घर लौट आए. घर आकर वहीं परम्परागत खेती शुरू कर दी लेकिन कुछ खास कमाई न होने पर औषधीय पौधों की खेती शुरू कर दी परंतु यहां पर भी किसान धर्मवीर का मन नहीं लगा.
धर्मवीर के मन में सबसे अलग कुछ नया करने का चल रहा था. साल 2006 में उन्होंने एक मशीन बनाई. इस मशीन से फल-सब्जियों से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जा सकते थे. इस मल्टीप्रोसेसिंग मशीन को बनाने के किसान धर्मबीर की जिंदगी के दिन बदलने शुरू हो गए. पड़ोसी देश बांग्लादेश और नेपाल के साथ- साथ अफ्रीकी देशों कीनिया, जिंबाब्वे, नाइजीरिया, इथोपिया, युगांडा में भी इस मशीन की मांग बढ़ने लगी. इसके साथ ही धर्मबीर सिंह ने सब्जियों को सुखाने के लिए ट्रे ड्रायर मशीन व स्टोरेज टैंक भी तैयार किए.
नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने दिया स्थान
बता दें कि सच्ची लगन और कठिन परिश्रम के बलबूते सफल उद्यमी बनें धर्मवीर सिंह ने छठी कक्षा में ही इलेक्ट्रिक हीटर व बोरिंग करने की मशीन का माडल तैयार कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया था. धर्मवीर की खोजों को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन इंडिया ने प्रमुखता से स्थान दिया है. सीबीएसई ने धर्मवीर के बारे में तमाम जानकारी यहीं से एकत्रित करना शुरू किया.
सीबीएसई बोर्ड के सचिव ने किया फोन
किसान धर्मवीर सिंह बताते हैं कि दो साल पहले सीबीएसई बोर्ड के सचिव का उनके पास फोन आया था. तब उन्होंने पूछा था कि यदि आपकी उपलब्धियों को हम सीबीएसई के पाठ्यक्रम में शामिल करें तो आपको कोई ऐतराज तो नहीं होगा. धर्मवीर ने बताया कि शुक्रवार को जयपुर से एक जानकार डाक्टर का उनके पास फोन आया और बताया कि उनके दोहते की सीबीएसई की पुस्तक में धर्मवीर के बारे में लिखा है. यह बात सुनने के बाद धर्मवीर खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.
प्रोसेसिंग मशीनें निर्यात करते हैं धर्मवीर
किसान धर्मवीर सिंह ने बताया कि वो अपने गांव दामला में ही धर्मवीर फूड टेक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी चला चला रहे हैं, जहां मल्टीपर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीनें बनाई जा रही हैं. इनके द्वारा तैयार की जा रही मशीनें आस्ट्रेलिया, जापान, न्यूयॉर्क, नाइजीरिया, कीनिया, जिम्बाब्वे, युगांडा व गिनी जैसे देशों में निर्यात की जा रही है. उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर करीब सवा करोड़ रुपये है.
ये उपलब्धियां की हासिल
• साल 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कृषि जगत में उत्कृष्ट कार्य करने पर सम्मानित किया.
• साल 2010 में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने फार्मर साइंटिस्ट अवार्ड दिया.
• साल 2013 में फूड प्रोसेसिंग मशीन बनाने पर फर्स्ट नेशनल अवार्ड दिया गया.
• साल 2014 में एक जुलाई से 30 जुलाई तक राष्ट्रपति के मेहमान बनकर रहे.
• साल 2015 में जिम्बांबवे के राष्ट्रपति राबर्ट मुगांबे ने मल्टीपर्पज मशीन बनाने के लिए सम्मानित किया.
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