यमुनानगर | अब हरियाणा के किसानों का पारंपरिक खेती से मोह कम हो रहा है. बता दे कि हरियाणा के किसान अब मुनाफा देने वाली फसलों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने लगे हैं. यमुनानगर जिले के किसान गेहूं या गन्ने की खेती को छोड़कर गेंदे के फूल और अरबी के पत्तों की खेती कर रहे हैं. बता दें कि इस खेती के जरिये वह गेहूं या गन्ने की खेती से ज्यादा लाभ कमा रहे हैं. गुरनाम सिंह पिछले 10 सालों से यमुनानगर में गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं.
गेहूं को छोड़कर किसान कर रहे हैं गेंदे के फूल की खेती
उनका कहना है कि उन्हें पहले से फूलों का काफी शौक था, इसके अलावा सरकार हमेशा कहती थी कि गेहूं की हमारे पास काफी सप्लाई है. जिसके बाद मैंने इसमें बदलाव करने की सोची और गेहूं के बजाय गेंदे के फूलों की खेती शुरू कर दी. किसान ने कहा कि इस खेती का काफी फायदा है. उन्होंने कहा कि जब हम परंपरागत खेती करते थे, तो साल में दो बार ही फसल मिलती थी. अब फूल की खेती करने से 1 साल में तीन बार फसल मिलती है.
जानिए ऑर्गेनिक खेती के फायदे
यह खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक है, इसमें जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहती है. उन्होंने बताया कि शुरू में इस काम मे थोड़ी दिक्कतें हुई थी, क्योंकि उन्हें मालूम नहीं था कि फूलों को कहां बेचना है और इससे फायदा होगा या नुकसान. बाद में जब ग्राहक फूल लेने के लिए उनके घर आने लगे, अब उन्हें पता चला कि यह खेती कितने फायदेमंद है. वह अपनी अधिकतर फसलों को मंडियों में बेचते हैं, बची हुई फसलों को मंदिर या माली को बेच देते हैं.
शुरू में करने पड़ा था दिक्कतों का सामना
शुरू में जब उन्होंने के गेंदे के फूल की खेती शुरू की तब उनके मन में नकारात्मक बातें भी आई. उन्होंने उन सभी बातों को दरकिनार करते हुए फूलों की खेती को अपनी पहली पसंद बना लिया और तब से लेकर आज तक वह फूलों की खेती ही कर रहे हैं. हरियाणा सरकार की तरफ से भी समय-समय पर किसानों को खेती के लिए जागरूक किया जाता है.
इसका मुख्य उद्देश्य ना केवल किसानों को घाटे से बचाना है, बल्कि उन्हें नई फसलों के बारे में जानकारी देना भी है. सरकार की तरफ से ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. बता दे कि ऑर्गेनिक खेती करने में कम पानी की आवश्यकता होती है.
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