यमुनानगर | हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन नीति की बदौलत आज सूबे के हजारों किसान परम्परागत खेती का मोह त्याग कर ऑर्गेनिक और बागवानी खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. इससे जहां कम लागत में उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर उनकी पहचान प्रगतिशील किसानों के रूप में भी हो रही है. वो अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत का काम कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही सार्थक प्रयास कर पांसरा गांव के अमरजीत कांबोज ने घास की खेती से खुशहाली का रास्ता निकाला है.
कई लोगों को दे रहे रोजगार
पहले गन्ने व धान की परम्परागत खेती से साधारण जीवनयापन करने वाले अमरजीत ने खोजबीन करने के बाद लॉन घास की खेती शुरू की. इस खेती ने उनके आर्थिक जीवन को बदल कर रख दिया. आर्थिक स्थिति अच्छी होने से जहां उनके खुद के हालात बदले तो वहीं साथ ही, आज वो अपने खेतों में करीब 20 लोगों के लिए भी रोजगार का जरिया बने हैं. उनके पास हरियाणा के अलावा विभिन्न स्थानों के साथ दूसरे राज्यों से भी ऑर्डर आ रहे हैं. इसके अलावा वह इस घास की दिल्ली और मुंबई के साथ- साथ कई मेट्रो सिटी में सप्लाई करते हैं.
दोस्त के सुझाव पर बढ़े आगे
अमरजीत ने बताया कि उनके एक मित्र ने लॉन घास की खेती के बारे में सुझाव दिया. इस खेती के बारे में इंटरनेट मीडिया पर पड़ताल की. दिल्ली के कंझावला गए और लॉन घास की खेती के बारे में बारीकी से प्रशिक्षण लिया. उसके बाद इस फसल के बाजार के बारे में पता किया और इसकी मांग बढ़ाने की दिशा में भी पड़ताल की.
चार तरह के लॉन घास कर रहे तैयार
किसान अमरजीत ने बताया कि उनके पास चार एकड़ जमीन पर 4 प्रकार के लॉन घास की वैरायटी की खेती हो रही है, जिनमें नीलगिरी, सलेक्स, कोरियन और बरमुडा शामिल हैं. इनका रेट 5 रूपए से 25 रूपए प्रति स्क्वायर फीट तक है. उन्होंने बताया कि सलेक्स व बरमुडा लॉन घास हरियाली के लिए होती है और इसको स्पेशल पार्टी लॉन के लिए तैयार किया जाता है. जबकि नीलगिरी व कोरियन की विशेष खासियत यह है कि यह गद्देदार होती है, जिस पर चलने व बैठने में आनंद आता है. इस कारण इस लॉन घास का रेट ज्यादा रहता है.
1 एकड़ में तैयार होती है 42 वर्ग फीट लॉन घास
कृषि अधिकारी डाक्टर आदित्य डबास ने बताया कि एक एकड़ में 43 हजार 560 वर्ग फीट होते हैं. 42 हजार वर्ग फीट में लॉन घास तैयार हो जाती है. यदि 10 रुपये प्रति फीट के हिसाब से यह बिकता है, तो एक एकड़ में 4 लाख से ज्यादा का घास बिक सकता है.
इन बातों का रखें ख्याल
खेत में जलभराव की स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए और साथ ही खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इस फसल के लिए शहर के नजदीक खेत हो तो और बेहतर रहता है. ट्रांसपोर्ट की सुविधा होनी चाहिए. इसकी नर्सरी में सप्लाई हो जाती है. खेल मैदान और कालोनी में बिल्डर से संपर्क कर व्यापार को बढ़ावा दिया जा सकता है.
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