हरियाणा के किसानों को सरकार का बड़ा तोहफा, बाजरे की जगह दाल और तिलहन की खेती करने पर मिलेंगे 4000 रुपए

चंडीगढ | हरियाणा राज्य में जल संकट दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. राज्य में पानी के सीमित स्रोत है जिस कारण आने वाले दिनों में पानी का घटता स्तर बड़ी समस्या बन सकता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार जल संकट के प्रति किसानों को जागरूक करने का काम प्राथमिकता से कर रही है.

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इसी बीच प्रदेश सरकार किसानों की कृषि से जुड़ी एक महत्वपूर्ण योजना लाई है. इस योजना के तहत फैसला लिया गया है कि अगर किसान बाजरे की खेती की जगह अपने खेतों में दाल और तिलहन उगाएगा तो उसे सरकार द्वारा 4000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्वयं किसानों से बाजरे की जगह कपास और तिलहन उगाने का आग्रह किया.

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योजना को लाने का सरकार का मुख्य उद्देश्य राज्य में बाजरे की खेती को कम करना है. ऐसा करने के पीछे कई कारण है. सबसे पहला तो यही कि बाजरे की खेती में पानी की खपत बहुत ज्यादा है. जिस कारण राज्य का जल संकट बढ़ता है. वही हरियाणा सरकार के सामने बाजरे की खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है. प्रदेश में बाजरे की खपत बहुत कम है लेकिन पैदावार 7 गुना से अधिक है. राज्य में बाजरे की कीमत अधिक होने के कारण आसपास के राज्यों के किसान यहां आकर अपना बाजरा सस्ते दामों में बेच जाते हैं. बीते सालों में दूसरे राज्यों के व्यापारियों, आढ़तियों और किसानों द्वारा हरियाणा राज्य में बाजरे की फसल सस्ते दामों में बेचने के कारण राज्य सरकार को 700 से 800 करोड़ का नुकसान हुआ.

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बाजरे की खरीदारी को लेकर प्रदेश सरकार के सामने कुछ ऐसे भी केस आए जिसमें व्यापारियों और आढ़तियों ने सस्ते दामों में बाजरे को खरीदा और बाद में उसे एमएसपी यानी महंगे रेट में सरकार को बेच दिया. इस बार सरकार ने बाजरे की फसल को भावांतर भरपाई योजना के तहत खरीदने का निर्णय लिया है. जिसमें सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर देगी.

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बीते दिन अपने दूसरे कार्यकाल के 600 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में सीमित जल स्रोत होने के कारण जल संरक्षण के लिए कदम उठाने जरूरी है. इसी दिशा में सरकार द्वारा ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना को भी लाया गया है. इस योजना के तहत सरकार किसानों को धान की खेती की जगह अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.

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