चंडीगढ़ :- सोलर पंप का इस्तेमाल करने से किसानों को सिंचाई में मदद तो मिलती है. इसके अतिरिक्त किसान अपनी वो जमीन जो उपजाऊ नहीं है उस पर सयंत्र लगाकर हर महीने एक निश्चित आय कमा सकता है. एक मेगावाट सौर ऊर्जा सयंत्र की स्थापना के लिए 4 से 5 एकड़ की जमीन चाहिए होती है.
ऐसा देखा गया है कि बिजली की समस्या के कारण सिंचाई के वक्त किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए पीएम कुसुम योजना काफी अच्छी साबित हो सकती है. इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार किसानों को सोलर पंपों पर सब्सिडी प्रदान करती है.
सोलर पंप का इस्तेमाल किसान अपनी सिंचाई के कर सकते हैं साथ ही अपनी बंजर जमीन पर संयंत्र लगाकर हर महीना एक निश्चित आय कमा सकते है.
विशेषज्ञों के अनुसार एक मेगावाट सौर संयंत्र की स्थापना के लिए लगभग 4 से 5 एकड़ की जमीन चाहिए होती है. इससे एक साल में तकरीबन 15 लाख बिजली यूनिट का उत्पादन किया जा सकता है. बिजली विभाग द्वारा इसे लगभग 3 रूपये और 7 पैसे के टैरिफ पर खरीदा जाता है. किसान सोलर पंप द्वार आसानी से 45 लाख तक की आय अर्जित कर सकता है. कुसुम योजना के तहत किसान,किसान पंचायत , सहकारी समितियों का समूह सोलर पम्प लगाने के लिए आवेदन कर सकता है.
योजना के तहत किसानों को 60% की सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाएगी. इसके अतिरिक्त लागत में 30% का लोन भी सरकार देगी. किसानों को इस प्रोजेक्ट पर केवल 10%रूपये खर्च करना होता है. राज्य सरकारें इसे केंद्र के साथ मिलकर इसे अपने स्तर पर संचालित करती हैं. ऐसे में किसान अपने अपने राज्यों के विद्युत विभाग से संपर्क कर अन्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
इस योजना के तहत बंजर जमीन पर किसान 10,000 मेगावाट विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करेंगे, जो कि बंजर भूमि से ग्रिड पर जुड़े हैं. किसानों को सौर कृषि पंप स्थापित करने के लिए 17.05 लाख फंड भी दिया जाता है.
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