हरियाणा किफायती आवास योजना के मकानों की कीमतों में वृद्धि होगी, जानिए कीमत बढ़ोतरी की पूरी जानकारी

चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने किफायती आवास योजना के मकानों की कीमतों में बढ़ोतरी की है. जिसके फलस्वरूप राज्य में निम्न आय वर्ग वाले लोगों को दिए जाने वाले सस्ते मकान अब महंगे हो जाएंगे. कैबिनेट की मीटिंग में यह निर्णय लिया गया है कि आवास नीति के तहत दिए जाने वाले मकानों की कीमत अब ₹200 प्रति वर्ग फीट बढ़ा दी जाएगी. जबकि रियल एस्टेट औद्योगिक परिषद और नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल ने सरकार से ₹350 से लेकर ₹500 प्रति वर्ग फीट की वृद्धि करने की बात कही थी.

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जानिए क्या है, पूरा मामला

हरियाणा के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में तकरीबन 8 सालों बाद आवासीय इकाइयों के दाम बढ़ाने को मंजूरी मिल गई है. आपको बता दें कि इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में 19 अगस्त 2013 को अधिसूचित किफायती आवास नीति को लागू किया गया था. हालांकि वर्तमान में इसमें संशोधन किया गया है.

जानिए 600 वर्ग फीट साइज के फ्लैट की कीमत अब कितनी होगी

कैबिनेट की मीटिंग में कीमत बढ़ोतरी को मंजूरी मिलने के बाद अब आवास योजना के मकानों की कीमत में ₹200 प्रति वर्ग फीट की बढ़ोतरी हो गई है. जिसके कारण अब 600 वर्ग फीट के फ्लैट की कीमत में ₹1,20,000 तक की बढ़ोतरी देखी जाएगी. सामान्य तौर पर 303 से 650 वर्ग फीट तक साइज के एक, दो और तीन कमरों के फ्लैट बनाए जाते हैं. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इससे पहले भी कीमतों में वृद्धि करने के लिए प्रयास किए थे किंतु वह सफल नहीं रहे. कैबिनेट की मीटिंग में इन मकानों के मूल्य बढ़ाने को मंजूरी मिल गई है. अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम के तहत 5 एकड़ या इससे ज्यादा की भूमि में लाइसेंस मिल सकता है.

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जानिए बिल्डरों ने क्या दलील दी थी

बिल्डरों ने कहा था कि प्रदेश में  जमीन के मूल्य में भी बढ़ोतरी हुई है. निर्माण लागत में आ रहे खर्च में भी इजाफा हो रहा है. जिसके कारण वह सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों में फ्लैट्स तैयार करके जनता को नहीं दे पाएंगे. हरियाणा सरकार ने उनकी मांग को तो सही माना लेकिन उनकी मांग के अनुसार वृद्धि करने की बजाएं ₹200 प्रति वर्ग फीट की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है.

लाइसेंस नीति की 6 साल पुरानी तकनीक में संशोधन

इसी तरीके से कृषि भूमि पर औद्योगिक कॉलोनी के विकास के लिए. लाइसेंस की 6 साल पुरानी नीति में संशोधन करने का फैसला भी लिया है. डेवलपर द्वारा बाहें विकास शुल्क मांगा भी जाता है तो यह वास्तविक खर्च के अनुसार लिया जाएगा. जिसके लिए कॉलोनाइजर को उस क्षेत्र के अनुपात में आवासीय और वाणिज्यिक जमीन पर कब्जा करने की परमिशन दी जाएगी.  इसके लिए औद्योगिक प्लाट कॉलोनी में बुनियादी ढांचा सुविधाएं पूरी की गई है.

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टीडीआर के लिए हटाया गया न्यूनतम क्षेत्र का मानदंड

विकास योजना क्षेत्र में भूमि एकत्रीकरण और बाहें विकास कार्यों एवं आधारभूत संरचना के विकास के लिए हस्तांतरित विकास अधिकार (टीडीआर) जारी करने और इसका उपयोग करने की विधि पर कैबिनेट ने इसे भी मंजूरी दे दी है. सेक्टर प्लान रोड पॉकेट (एसपीआरपी) और सेक्टर रोडस एंड ग्रीन बेल्ट्स (एसआरजीबी) के खिलाफ टीडीआर आवेदन के लिए न्यूनतम क्षेत्र मानदंडों को हटा दिया गया है.

जानिए कि बिल्डर खरीद सकेंगे निकायों की जमीन के बारे में विस्तार से

बिल्डर एवं कॉलोनाइजर अब सरकारी जमीन खरीद सकेंगे. हरियाणा सरकार की कैबिनेट मीटिंग में सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों, पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों के लिए राज्य में जमीन की मार्केट वैल्यू तय करने के लिए मूल्य निर्धारण नीति को भी सरकार ने मंजूरी दे दी है. कैबिनेट भैया माना है कि विभागों तथा उनकी संस्थाओं को निजी निकायों की भूमि के बीच स्थित अपने रास्तों सहित छोटे नगर की अनुपयोगी भूमि को निजी निकायों को हस्तांतरित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. अब इस योजना के बाद उनकी ये परेशानी समाप्त हो जाएगी.

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कई प्रकार के प्रोजेक्ट किस कारण से रुके हुए थे. जिसके कारण राजस्व का भी काफी नुकसान हो रहा था. इस तरह की भूमि पर अवैध कब्जे भी हो रहे थे. इसलिए राजस्व विभाग में नोडल विभाग के नाते यह नीति बनाई है.  रही बात मूल्य निर्धारण की तो उसके लिए एक स्थाई समिति का गठन होगा. इस समिति में संबंधित मंडलायुक्त, जिला राजस्व अधिकारी, एक विभागीय अधिकारी, आयकर विभाग, भारतीय स्टेट बैंक, सरकार के स्वामित्व वाली बीमा कंपनियों से पंजीकृत तथा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सूचीबद्ध 3 मूल्यांकन करता कमेटी में शामिल किए जाएंगे.

यह भी बता दे कि स्थाई समिति 3 मूल्यांकन करता द्वारा किए गए मूल्यांकन का औसत इस शर्त  के आधार पर करेगी कि जहां भूमि स्थित है. वहां स्टांप ड्यूटी किसी भी सूरत में उस एरिया के कलेक्टर रेट से कम ना हो. यदि संबंधित बिल्डर या कोई निजी संस्था उस समय की कलेक्ट्रेट की दुगनी राशि या पिछले वर्ष के उच्चतम राशि के दो विलय को का औसत भुगतान करने को तैयार है तो संबंधित विभाग द्वारा उच्च अधिकार प्राप्त भूमि खरीद कमेटी इसके लिए मंजूरी देगी. किंतु संबंधित संस्था या बिल्डर के द्वारा पहले से ही भूमि उपयोग परिवर्तन लिया होना अनिवार्य है. यह प्रमुख योजना है जिसके जरिए काफी विषयों पर बदलाव किए गए हैं.

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